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सहरसा की अर्चना मिश्रा को मिला मिथिला चित्रकला का पहला पुरस्कार

सहरसा की अर्चना मिश्रा को मिला मिथिला चित्रकला का पहला पुरस्कार
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एडिटर अजित कुमार सिंह DN 24 LIVE

नंबर पर पटना की निशिता एवं मधुबनी के नरेश पासवान रहे
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किसी भी कला को निरूपित करने में कलाकार की भावना और अपनी कृति को लेकर उसके मन में उपजे भाव का विशेष महत्व होता है। उक्त बातें विवेकानंद कैंसर अस्पताल के संस्थापक डॉ अशोक सिंह ने सोमवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित 48 वें मिथिला विभूति पर्व समारोह अंतर्गत मिथिला पेंटिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ करते कही। उन्होंने कहा कि मिथिला की धरोहर कला को विकास की पटरी पर दौड़ने में यहां की नारी शक्ति का विशेष योगदान रहा है। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
मौके पर अपने विचार रखते हुए पीजी प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ अयोध्या नाथ झा ने कहा कि मिथिला चित्रकला के विभिन्न चित्रों की अपनी विशेषता है, जो जीवन के दर्शन से सहज रूप में जुड़ा होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व को भी प्रमाणित करती है। मैथिली सेनानी प्रो उदय शंकर मिश्र ने वर्ष 1934 के प्रलयंकारी भूकंप के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली मिथिला की लोक चित्रकला को आपदा को अवसर में तब्दील करने का सशक्त उदाहरण बताया। इंजीनियर गजेंद्र झा ने मिथिला की सदियों पुरानी धरोहर कला को जीवंत बनाने में मैथिलानी के योगदान की चर्चा करते हुए इसकी सही तरीके से ब्रांडिंग करने के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया।
मिथिला एवं दिल्ली की राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में सक्रियता रखने वाले शरद झा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला पेंटिंग को जनक जानकी की भूमि का सदियों पुराना हुनर बताते हुए इसकी जीआई टैगिंग किसी क्षेत्र विशेष के नाम पर किए जाने पर आपत्ति जताई। इसके साथ ही उन्होंने मिथिला को विभिन्न अंचलों के नाम से खंडित किए जाने को राजनीतिक साजिश करार देते हुए इसके विरुद्ध सभी मिथिला वासी को एकजुटता का प्रदर्शन करने का आह्वान किया। अध्यक्षीय संबोधन में शरत झा ने मिथिला की चित्रकला को महिला सशक्तिकरण का आधार बताते हुए इस क्षेत्र में लगे लोगों से आत्मनिर्भरता के साथ नई दृष्टि लेकर क्रांति का बिगुल फूंकने का आह्वान किया ताकि इस धरोहर कला के बाजार पर बिचौलियों के प्रभाव को जड़ मूल से खत्म किया जा सके।
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल मैथिली मंच के मार्गदर्शक डाॅ अयोध्या नाथ झा, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू, एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा, मुक्ति आर्ट गैलरी की संयोजिका मुक्ति झा एवं कला निकेतन की संयोजिका चंद्रकला देवी द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार इसमें प्रथम पुरस्कार के लिए सहरसा की अर्चना मिश्रा, द्वितीय पुरस्कार के लिए पटना की निशिता व मधुबनी के नरेश पासवान एवं तृतीय पुरस्कार के लिए दरभंगा की सुधा एम व बनारस की किरण झा के नाम की घोषणा की गई। अव्वल आने वाले प्रतिभागियों को क्रमशः पं ताराकांत झा स्मृति पुरस्कार के रूप में 21हजार रूपये का प्रथम पुरस्कार, डाॅ अन्नपूर्णा मिश्रा स्मृति पुरस्कार के रूप में 11 हजार रूपये का द्वितीय पुरस्कार एवं रोहिणी देवी पुरस्कार के रूप में 51 सौ रूपये का तृतीय पुरस्कार मुख्य समारोह में प्रदान किया जाएगा । इसके अतिरिक्त तीन सर्वश्रेष्ठ बाल प्रतिभागियों के रूप में सिंहभूम की प्रियंका कुमारी, पटना की प्रिया झा एवं सूरत की रिशा झा को विदिशा क्रिएशंस की ओर से प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गये।
संस्थान के तकनीकी संयोजक आशीष चौधरी एवं मणि भूषण राजू के संयोजन में एमएलएसएम कॉलेज के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में प्रो जीवकांत मिश्र, मणिकांत झा, प्रवीण कुमार झा , डाॅ गणेश कांत झा, पुरूषोत्तम वत्स, जयंती, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढाभाई, विनोद कुमार झा, विद्या भूषण, अभिषेक झा, कल्याणी चौधरी, चंदना आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम के दौरान मिथिला पेंटिंग के उत्कृष्ट योगदान देने वाले मिथिला विभूति कृष्ण कुमार कश्यप के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवाओं एवं बाल प्रतिभा को सम्मानित किया गया।

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