गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए आयोडीन का सेवन ज़रूरी- डॉ विनय
– गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को रोजाना करीब 250 एमसीजी (माइक्रोग्राम) आयोडीन के सेवन की सलाह
– गर्भस्थ शिशु के मानसिक व शरीरिक विकास में सहायक
दरभंगा. 11 दिसम्बर. गर्भावस्था में महिलाओं को अपने शारिरिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। खासकर खानपान में विशेष ध्यान रखनी चाहिए. साथ ही अन्य स्वास्थ्यवर्धक क्रियाकलापों पर ध्यान देनी चाहिए। इस कड़ी में मानव शरीर के थायरॉइड ग्रंथि को नियंत्रित रखने में आयोडीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। थायरॉइड हॉर्मोन आपके शरीर को सुचारु रूप से काम करने में मदद करते हैं। डॉ विनय कुमार बताते हैं गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए आयोडीन विशेषतौर पर जरुरी होता है। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी से आपकी सेहत के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है। बताया कि गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को रोजाना करीब 250 एमसीजी (माइक्रोग्राम) आयोडीन के सेवन की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था में आयोडीन की अधिक जरुरत
डॉ कुमार ने कहा कि आयोडीन एक ऐसा खनिज है जिसका इस्तेमाल हमारा शरीर थायरॉइड हॉर्मोन के उत्पादन के लिए करता है। थायरॉइड हॉर्मोन शरीर की ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है और सुनिश्चित करता है कि सभी अंग उचित ढंग से काम करते रहें। ये हॉर्मोन शरीर के तापमान, प्रजनन क्षमता, रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और नसों व मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करते हैं। कहा कि गर्भावस्था में शरीर को ज्यादा आयोडीन की जरुरत होती है। गर्भ में विकसित हो रहे शिशु की जरुरत के लिए भी आयोडीन चाहिए होता है। शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली के स्वस्थ विकास के लिए आयोडीन बहुत जरुरी है। यह शिशु के चयापचय (मेटाबोलिज्म, जिस दर पर शरीर ऊर्जा का इस्तेमाल करता है) और थायरॉइड फंक्शन को भी नियंत्रित करता है। गर्भस्थ शिशु पूरी तरह आपके थायरॉइड हॉर्मोन पर निर्भर करता है, इसलिए जरुरी है कि शरीर का हॉर्मोन का स्तर सही हो।
शिशुओं के लिए फायदेमंद
डॉ कुमार के अनुसार जन्म के बाद शिशु को अपना थायरॉइड हॉर्मोन बनाने के लिए जरुरी आयोडीन स्तनदूध से मिलता है। इसलिए जरुरी है कि स्तनपान करवाने वाली माँ को भी पर्याप्त आयोडीन मिले। बताया कि यदि पर्याप्त आयोडीन न मिले तो गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र का शायद उचित विकास न हो।
आयोडीन की कमी से समस्या
गर्भवती महिला व शिशु में थायरॉइड बढ़ना (गलगण्ड) या निष्क्रिय थायरॉइड (हाइपोथायरॉइडिज्म) होना
गर्भावधि हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) और प्री-एक्लेमप्सिया
अपरा के खंडन समेत अपरा से जुड़ी अन्य समस्याएं
गर्भपात, समय से पहले प्रसव, मृतजन्म और नवजात मृत्यु का खतरा
कम जन्म वजन शिशु होने या शिशु में इंट्रायूटेरीन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (आईयूजीआर)
शिशु में जन्मजात विकार होने या सुनने व बोलने से जुड़ी समस्याएं
शिशु का बौद्धिक स्तर कमजोर होने या सीखने-समझने और विकास से जुड़ी समस्याएं
कुछ अध्ययन दर्शाते हैं कि गर्भावस्था में आयोडीन की कमी को ऑटिज्म और ठीक से ध्यान केंद्रित न कर पाना (एटेंशन डेफिसिट) और हाइपरएक्टिविटी विकार से जोड़ा जा सकता है।
आयोडीन की कमी से होने वाली परेशानी
बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि (गलगंड)
थकान
कमजोरी
मांसपेशियों में ऐंठन
कब्ज
अवसाद (डिप्रेशन)
ठंड सहन न होना
वजन बढ़ना
रुखी त्वचा
नाखून टूटना
बाल झड़ना
चेहरे पर सूजन
आवाज में भारीपन
आयोडीन के स्रोत
आयोडीन प्राकृतिक तौर पर समुद्री पानी और मिट्टी में पाया जाता है। खाने योग्य आयोडीन के आम स्त्रोतों में शामिल हैं:
आयोडीन युक्त नमक
डेयरी उत्पाद
अंडे अच्छी तरह पके हुए
समुद्री मछलियां और समुद्री भोजन
मांस
समुद्री शैवाल (सीवीड)
फोर्टिफाइड ब्रेड
फल, सब्जियों, अनाज और दाल-दलहनों में भी आयोडीन होता है, मगर इसकी मात्रा उस जगह की मिट्टी और पानी पर निर्भर करती है, जहां वे उगाए गए हैं।
कोरोना से करें बचाव
हमेशा मास्क पहने
साथ मे सैनिटाइजर रखे
लोगो से उचित दूरी बनाए
सदैव कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन करें
सन्देह होने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में सम्पर्क करें