दरभंगा राजू सिंह कि रिपोर्ट
शराबबंदी से महिलाओं व बच्चों पर अत्याचारों में कम प्रो सैयद मुमताजुद्दीन नशाखोरी सभी अपराधों की जङ प्रो मुमताजु,द्दीन नशाबंदी समाज एवं परिवार के लिए अत्यंत फायदेमंद पूर्व प्रति कुलपति
प्रति कुलपति के रूप में कार्य करते हुए अत्यधिक लगाव के कारण मुझे दरभंगा आने की हमेशा इच्छा रहती है और मैं आता भी रहता हूं। विशेषकर सेमिनार,व्याख्यान तथा कार्यशाला जैसे शैक्षणिक कार्यक्रमों में। नशा प्रायः सभी अपराधों की जङ है।मात्र दवा के रूप में अल्प मात्रा में नशा का प्रयोग हमारे लिए लाभदायक है। विशेषकर बिहार में 2016 में लागू शराबबंदी से महिलाओं एवं बच्चों पर अत्याचार में काफी कमी हुई है।एक वर्ष बाद ही 2017 के सर्वे के अनुसार अपराधों में 20% तथा रोड दुर्घटनाओं में 10% की कमी पाई गई।दूसरी ओर दूध की बिक्री में 10% की, पनीर की बिक्री में 200% की तथा मोटरसाइकिल की बिक्री में 30% की वृद्धि हुई।साथ ही साथ मनोरंजन के साधनों की बिक्री में भी काफी इजाफा हुआ, जिससे सरकार की भी आमदनी बढ़ी।उक्त बातें वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय,आरा के पूर्व कुलपति तथा मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रो सैयद मुमताजुद्दीन ने सी एम कॉलेज,दरभंगा में आयोजित ”बिहार में शराबबंदी के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव” विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में कहा।उन्होंने कहा कि नशाबंदी से समाज में हंगामा,झगड़ा-झंझटों में काफी कमी आई है तथा सड़कों और चौराहों पर दहशत का माहौल खत्म हुआ है।यद्यपि शराबबंदी से सरकारी आमदनी में कमी हुई है,पर यह परिवार व समाज के व्यापक हित में है।कानून बनने के बाद अब जरूरत है कि जन-जागरूकता के माध्यम से इसे जमीनी हकीकत प्रदान किया जाए। उन्होंने छात्रों से सदा सकारात्मक सोच,अच्छे की उम्मीद रखते हुए संवाद कौशल तथा नेतृत्व-क्षमता का विकास करने,दूसरों को प्रेरणा देने तथा बेहतरी का उदाहरण पेश करने का आह्वान किया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो चंद्रभानू प्रसाद सिंह ने कहा कि वैसे तो नशापान की चर्चा वेदों में भी है और देवता भी सोम रसपान करते थे,पर अनियंत्रित शराबपान समाज के लिए श्राप बन गया। आज शराबबंदी का सर्वाधिक लाभ गरीबों तथा मजदूरों को हो रहा है,जो सस्ती शराब पीकर न केवल अपना आर्थिक नुकसान करते थे, बल्कि स्वास्थ्य खराब कर अंततः स्वर्गवासी हो जाते थे। शराबबंदी के कारण पारिवारिक अशांति दूर हुई है जिससे महिलाओं का सर्वाधिक लाभ हुआ है।शराबबंदी से न केवल अपराध कम हुआ, बल्कि सामाजिक सद्भाव भी बड़ा है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डा मुश्ताक अहमद ने कहा कि नशाबंदी का फैसला काफी देर से लिया गया।यह परम आवश्यक हो गया था। शराबबंदी का प्रभाव आज सकारात्मक रूप से स्पष्टत: दिख रहा है।विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में शराबबंदी से दिशा और दशा बदल रहा है। यह विषय काफी ज्वलंत एवं लगातार चर्चित रहने वाला है। आज सामाजिक कुरीतियों,धार्मिक उन्मादों, जातिवाद आदि सामाजिक समस्याओं से मुक्ति की भी जरूरत है।प्रधानाचार्य ने कहा कि प्रो मुमताजुद्दीन का परिवार उस समय से ही प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ा रहा है,जब अल्पसंख्यक वर्ग में शिक्षा का प्रसार बहुत कम था।ये अपने विषय के विशेषज्ञ रहते हुए प्रशासनिक पदों पर भी कार्यरत रहे हैं, परंतु इनका शिक्षक रूप हमेशा जीवंत रहा है। वर्तमान में ये अलकरीम (निजी) विश्वविद्यालय,पूर्णिया में कुलपति के पद को सुशोभित कर रहे हैं। इनका आगमन महाविद्यालय परिवार के लिए लाभप्रद है।
कार्यक्रम में प्रो विश्वनाथ झा, प्रो सी एस मिश्रा,डॉ आर एन चौरसिया,डॉ वासुदेव साहू, प्रो मंजू राय,प्रो नारायण झा, डॉ रीना कुमारी,डॉ विजय सेन पांडे,डॉ शशांक शुक्ला, डॉ अनुपम कुमार सिंह,प्रो राजानंद झा,प्रो नथुनी यादव,प्रो विकाश कुमार,डॉ ललित शर्मा,प्रो रागिनी रंजन डा प्रीति कनोडिया,प्रो रमण बिहारी लाल,डॉ नरेंद्र कुमार झा,डा रुद्रकांत अमर,प्रो गिरीश कुमार,डा अमरेंद्र शर्मा, प्रो एहतेशामुद्दीन,डॉ जफर आलम,डॉ राफीया काजीम,डॉ मयंक श्रीवास्तव सहित एक सौ से अधिक छात्र-छात्रा ने भाग लिया। अतिथियों का स्वागत पाग, चादर तथा पुष्पगुच्छ से किया गया।डॉ एकता श्रीवास्तव के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अतिथि स्वागत आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ जिया हैदर तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने किया।

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